प्राकृतिक खेती अपनाकर खुशहाल हो रहे सिरमौर जिले के किसान व बागवान
इंडिया न्यूज, Shimla (Himachal Pradesh)
प्राकृतिक खेती (Natural Farming) खुशहाल किसान योजना को अपनाकर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ जिला सिरमौर (Sirmaur District) के किसान (Farmers and Gardeners) भी खुशहाली के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही महत्वाकांक्षी प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना प्रदेश के किसानों-बागवानों की आर्थिकी को संबल प्रदान कर रही है।
खेती की इस तकनीक को अपनाने से कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ लागत मूल्य में भी कमी आती है।
किसानों को प्रदान किया जा रहा प्रशिक्षण
सिरमौर जिले में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण, आतमा द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
कृषि विभाग द्वारा 3 वर्षों में 411 प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत 16,133 किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया और 10,324 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है।
जिले में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत 1,029 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक तरीके से खेती की जा रही है।
2 से 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर
इस योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत, जिला एवं राज्य स्तर पर 2 से 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाता है।
प्रशिक्षण के दौरान किसानों के लिए कृषक भ्रमण कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है ताकि किसान विभिन्न क्षेत्रों में जाकर प्राकृतिक खेती के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें।
3 ड्रम खरीदने पर अनुदान
प्राकृतिक खेती द्रव्य उत्पादन के लिए प्लास्टिक ड्रम पर 75 प्रतिशत या अधिकतम 750 रुपए प्रति ड्रम की दर से 3 ड्रम खरीदने पर अनुदान दिया जाता है।
इसी तरह, गौशाला के फर्श निर्माण के लिए 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 हजार रुपए का अनुदान दिया जाता है। देसी गाय की खरीद पर सरकार द्वारा किसानों को 50 प्रतिशत या अधिकतम 25 हजार रुपए अनुदान दिया जाता हैै।
बंजर होने से बचती है जमीन
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के लाभार्थी नाहन विकास खंड की ग्राम पंचायत कमलाहड़ के गांव खैरी चागण निवासी विशाल ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा उन्हें प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया गया जिसमें उन्होंने जीवामृत, घनजीवामृत तथा प्राकृतिक कीटनाशक बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती अपनाने से किसानों के समय की बचत होती है और उनकी जमीन बंजर होने से भी बचती है।
आमदनी में हो रही बढ़ौतरी
ग्राम पंचायत कमलाहड़ के गांव काटाफलाह के लाभार्थी चमन पुंडीर ने बताया कि वह 3 वर्षों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और मुख्य फसल के साथ सह फसल भी उगाते हैं जिससे उनकी आमदनी में बढ़ौतरी हो रही है।
9192 हेक्टेयर क्षेत्र कवर
प्रदेश में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत अब तक प्रदेश सरकार द्वारा 46 करोड़ 15 लाख रुपए व्यय किए जा चुके हैं तथा इससे 1 लाख 54 हजार से अधिक किसान लाभान्वित हो चुके हैं।
इसके तहत अब तक 9,192 हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया जा चुका है।
50 हजार एकड़ भूमि का लक्ष्य
वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में इस वर्ष के दौरान 50 हजार एकड़ भूमि को प्राकृतिक कृषि के अधीन लाने का प्रावधान किया गया है।
प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में प्राकृतिक कृषि का 1-1 मॉडल भी विकसित किया जाएगा जिससे आस-पास के किसानों को प्रशिक्षित व प्रोत्साहित करने में सहायता मिलेगी।
प्रदेश में कम से कम 100 गांवों को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्राकृतिक कृषि गांव के रूप में परिवर्तित करने तथा प्राकृतिक कृषि कर रहे सभी किसानों को पंजीकृत कर उनमें से श्रेष्ठ 50 हजार किसानों को प्राकृतिक कृषक के रूप में प्रमाणित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
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