India news (इंडिया न्यूज़), Himachal: प्रदेश के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षकों की सबलैटिंग को लेकर विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश कंप्यूटर शिक्षक संघ ने राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा है कि अब स्कूलों में आउटसोर्स पर रखे कंप्यूटर शिक्षकों को चार से पांच कंपनियों के अधीन अपनी सेवाएं देनी होगी। ज्वाली विधानसभा के लोक निर्माण विभाग विश्रामगृह में बैठक कर प्रदेश कंप्यूटर शिक्षक संघ ने चेतावनी दी है कि अगर राज्य सरकार कंप्यूटर शिक्षकों को विभिन्न कंपनियों के अधीन बांटती है तो संघ के सदस्य इसका जोरदार विरोध करेंगे।
20 वर्षों से कंम्प्यूटर शिक्षकों को ठग रही है सरकारें
संघ के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष दलजीत मन्हास व कानूनी सलाहकार भुवनेश शर्मा का कहना है कि बेहतर है कि हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन के अधीन ही कंप्यूटर शिक्षकों को रहने दिया जाए। उन्होंने कहा कि पिछले करीब 20 वर्षों से कंप्यूटर शिक्षकों को हर सरकार ठगती आई है। उनका आरोप है कंप्यूटर शिक्षकों के साथ राज्य सरकार हमेशा सौतेला व्यवहार करती आई है। जब भी विधानसभा चुनाव सिर पर होते हैं तो कंप्यूटर शिक्षकों को सरकार के अधीन लाकर पॉलिसी बनाने का सपना दिखाकर उनसे वोट ले लिए जाते हैं और सरकार बनने के बाद हर बार उन्हें किसी कंपनी के अधीन सौंप दिया जाता है लेकिन इस बार प्रदेश सरकार का यह सौतेला व्यवहार संघ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा।
शिक्षकों को भविष्य अंधकारमय स्थिति में है
कंप्यूटर शिक्षक संघ का कहना है कि हमारे कई भाई रिटायर होने की उम्र पर पहुंचने लगे हैं परंतु अभी तक उनका भविष्य अंधकारमय स्थिति में ही है। कुछ कंप्यूटर शिक्षकों ने तो अपने बच्चों की पढ़ाई या शादी के लिए ऋण तक ले रखा है। अगर यही हाल रहा तो उन्हें भूखे मरने की नौबत तक आ जाएगी और इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
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